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Showing posts from June, 2021

मौर्य साम्राज्‍य का अंत (End of Maurya Empire)

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अशोक के उत्‍तराधिकारी कमज़ोर शासक हुए, जिससे प्रान्‍तों को अपनी स्‍वतंत्रता का दावा करने का साहस हुआ। इतने बड़े साम्राज्‍य का प्रशासन चलाने के कठिन कार्य का संपादन कमज़ोर शासकों द्वारा नहीं हो सका। उत्‍तराधिकारियों के बीच आपसी लड़ाइयों ने भी मौर्य साम्राज्‍य के अवनति में योगदान किया। ईसवी सन् की प्रथम शताब्दि के प्रारम्‍भ में कुशाणों ने भारत के उत्‍तर पश्चिम मोर्चे में अपना साम्राज्‍य स्‍‍थापित किया। कुशाण सम्राटों में सबसे अधिक प्रसिद्ध सम्राट कनिष्‍क (125 ई. से 162 ई. तक), जो कि कुशाण साम्राज्‍य का तीसरा सम्राट था। कुशाण शासन ईस्‍वी की तीसरी शताब्दि के मध्‍य तक चला। इस साम्राज्‍य की सबसे महत्‍वपूर्ण उपलब्धियाँ कला के गांधार घराने का विकास व बुद्ध मत का आगे एशिया के सुदूर क्षेत्रों में विस्‍तार करना रही।

मौर्य साम्राज्‍य (Maurya Empire)

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  मौर्य साम्राज्‍य की अवधि (ईसा पूर्व 322 से ईसा पूर्व 185 तक) ने भारतीय इतिहास में एक युग का सूत्रपात किया। कहा जाता है कि यह वह अवधि थी जब कालक्रम स्‍पष्‍ट हुआ। यह वह समय था जब, राजनीति, कला, और वाणिज्‍य ने भारत को एक स्‍वर्णिम ऊंचाई पर पहुंचा दिया। यह खंडों में विभाजित राज्‍यों के एकीकरण का समय था। इससे भी आगे इस अवधि के दौरान बाहरी दुनिया के साथ प्रभावशाली ढंग से भारत के संपर्क स्‍थापित हुए। सिकन्‍दर की मृत्‍यु के बाद उत्‍पन्‍न भ्रम की स्थिति ने राज्‍यों को यूनानियों की दासता से मुक्‍त कराने और इस प्रकार पंजाब व सिंध प्रांतों पर कब्‍जा करने का चन्‍द्रगुप्‍त को अवसर प्रदान किया। उसने बाद में कौटिल्‍य की सहायता से मगध में नन्‍द के राज्‍य को समाप्‍त कर दिया और ईसा पूर्व और 322 में प्रतापी मौर्य राज्‍य की स्‍थापना की। चन्‍द्रगुप्‍त जिसने 324 से 301 ईसा पूर्व तक शासन किया, ने मुक्तिदाता की उपाधि प्रा‍प्‍त की व भारत के पहले सम्रा‍ट की उपाधि प्राप्‍त की। वृद्धावस्‍था आने पर चन्‍द्रगुप्‍त की रुचि धर्म की ओर हुई तथा ईसा पूर्व 301 में उसने अपनी गद्दी अपने पुत्र बिंदुसार के लिए छोड़ दी। अपने

सिकंदर का आक्रमण - Sikandar (Alexander) Attack

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  ईसा पूर्व 326 में सिकंदर सिंधु नदी को पार करके तक्षशिला की ओर बढ़ा व भारत पर आक्रमण किया। तब उसने झेलम व चिनाब नदियों के मध्‍य अवस्थ्ति राज्‍य के राजा पौरस को चुनौती दी। यद्यपि भारतीयों ने हाथियों, जिन्‍हें मेसीडोनिया वासियों ने पहले कभी नहीं देखा था, को साथ लेकर युद्ध किया, परन्‍तु भयंकर युद्ध के बाद भारतीय हार गए। सिकंदर ने पौरस को गिरफ्तार कर लिया, तथा जैसे उसने अन्‍य स्‍थानीय राजाओं को परास्‍त किया था, की भांति उसे अपने क्षेत्र पर राज्‍य करने की अनुमति दे दी। दक्षिण में हैडासयस व सिंधु नदियों की ओर अपनी यात्रा के दौरान, सिकंदर ने दार्शनिकों, ब्राह्मणों, जो कि अपनी बुद्धिमानी के लिए प्रसिद्ध थे, की तलाश की और उनसे दार्शनिक मुद्दों पर बहस की। वह अपनी बुद्धिमतापूर्ण चतुराई व निर्भय विजेता के रूप में सदियों तक भारत में किवदंती बना रहा। उग्र भारतीय लड़ाके कबीलों में से एक मालियों के गांव में सिकन्‍दर की सेना एकत्रित हुई। इस हमले में सिकन्‍दर कई बार जख्‍मी हुआ। जब एक तीर उसके सीने के कवच को पार करते हुए उसकी पसलियों में जा घुसा, तब वह बहुत गंभीर रूप से जख्‍मी हुआ। मेसेडोनियन अधिकारियों

बौद्ध युग (Buddhist Era)

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  भगवान गौतम बुद्ध के जीवनकाल में, ईसा पूर्व 7 वीं और शुरूआती 6 वीं शताब्दि के दौरान सोलह बड़ी शक्तियां (महाजनपद) विद्यमान थे। अति महत्‍वपूर्ण गणराज्‍यों में कपिलवस्‍तु के शाक्‍य और वैशाली के लिच्‍छवी गणराज्‍य थे। गणराज्‍यों के अलावा राजतंत्रीय राज्‍य भी थे, जिनमें से कौशाम्‍बी (वत्‍स), मगध, कोशल, और अवन्ति महत्‍वपूर्ण थे। इन राज्‍यों का शासन ऐसे शक्तिशाली व्‍यक्तियों के पास था, जिन्‍होंने राज्‍य विस्‍तार और पड़ोसी राज्‍यों को अपने में मिलाने की नीति अपना रखी थी। तथापि गणराज्‍यात्‍मक राज्‍यों के तब भी स्‍पष्‍ट संकेत थे जब राजाओं के अधीन राज्‍यों का विस्‍तार हो रहा था। बुद्ध का जन्‍म ईसा पूर्व 560 में हुआ और उनका देहान्‍त ईसा पूर्व 480 में 80 वर्ष की आयु में हुआ। उनका जन्‍म स्‍थान नेपाल में हिमालय पर्वत श्रंखला के पलपा गिरि की तलहटी में बसे कपिलवस्‍तु नगर का लुम्बिनी नामक निकुंज था। बुद्ध, जिनका वास्‍‍तविक नाम सिद्धार्थ गौतम था, ने बुद्ध धर्म की स्‍थापना की जो पूर्वी एशिया के अधिकांश हिस्‍सों में एक महान संस्‍कृति के रूप में वि‍कसित हुआ। 1. बुद्ध का युग और द्वितीय नगरीकरण (Buddha’s Peri

वैदिक सभ्‍यता (Vedic Period)

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  प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्‍यता सबसे प्रारंभिक सभ्‍यता है। इसका नामकरण हिन्‍दुओं के प्रारम्भिक साहित्‍य वेदों के नाम पर किया गया है। वैदिक सभ्‍यता सरस्‍वती नदी के किनारे के क्षेत्र जिसमें आधुनिक भारत के पंजाब और हरियाणा राज्‍य आते हैं, में विकसित हुई। वैदिक हिन्‍दुओं का पर्यायवाची है, यह वेदों से निकले धार्मिक और आध्‍यात्मिक विचारों का दूसरा नाम है। इस अवधि के दो महान ग्रंथ रामायण और महाभारत थे। वैदिक सभ्यता का काल याकोबी  एवं  तिलक  ने  ग्रहादि  सम्बन्धी  उद्धरणों  के  आधार  पर  भारत में  आर्यों  का  आगमन  4000  ई०  पू०  निर्धारित  किया  है । मैक्समूलर  का  अनुमान  है  कि  ऋग्वेद  काल  1 200  ई०  पू०  से  1000  ई०  पू०  तक  है ।  मान्यतिथि –  भारत  में  आर्यों  का  आगमन  1500  ई०  पू०  के  लगभग  हुआ ।  आर्यों का मूल स्थान आर्य किस प्रदेश के मूल निवासी थे, यह भारतीय इतिहास का एक विवादास्पद प्रश्न है। इस सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों द्वारा दिए गए मत संक्षेप में निम्नलिखित हैं। यूरोप  5  जातीय  विशेषताओं  के  आधार  पर  पेनका ,  हर्ट  आदि  विद्वानों  ने  जर्मनी  को  आर्यों  का